पुणे, 6 दिसंबर: भारतीय राज्य संविधान के निर्माता भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने उनकी यादों को ताजा करते हुए विनम्रतापूर्वक अभिवादन किया. साथ ही विश्वविद्यालय के ट्रस्टि, कुलपति, विभागाध्यक्ष, डीन, निदेशक, विभिन्न विभागों के शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने उनकी फ़ोटो पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी
इस समय अमेरिका के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. अशोक जोशी, वरिष्ठ साहित्यिक प्रो. रतनलाल सोनगरा, नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एम.पठान, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर. एम. चिटनीस, प्रो.डॉ. विनोद जाधव, प्रो.डॉ. दत्ता डांडगे और प्रो. गायकवाड उपस्थित थे.
विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, “इस देश के लोगों ने भगवान गौतम बुद्ध, म.गांधी और डॉ. अंबेडकर को जाना ही नहीं. यह सबसे बड़ी त्रासदी है. इसलिए समय आ गया है कि आत्ममंथन या आत्मनिरीक्षण किया जाए. कर्तव्य की भावना ही भारतीय संस्कृति की सच्ची अंगूठी है।”
प्रो. रतनलाल सोनगरा ने कहा, ”जब मौलाना अबुल कलाम आजाद, पं. जवाहर लाल नेहरू, आचार्य नरेंद्र अहमदनगर के जेल में बंद थे, उस समय सभी ने किताबें लिखीं. लेकिन डॉ. अंबेडकर ने बाहर रहकर ‘थॉट्स ऑफ पाकिस्तान’ लिखी.” उस समय सबसे सुंदर ग्रंथ की रचना हुई इसीलिए इसे गुरु ग्रंथ कहा जाता है आज विश्व को बुद्ध की आवश्यकता है.
उसके बाद डाॅ. अशोक जोशी, डॉ. एस.एम. पठान,डॉ. आर.एम. चिटनीस, डॉ.दत्ता दांडगे, प्रो. विनोद जाधव, डॉ. मिलिंद पात्रे, प्रो. गायकवाड ने अपने उद्बोधन में कहा कि महामहिम डाॅ. अंबेडकर ने देश को जो संविधान दिया वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. इसी प्रकार उन्होंने सभी को शिक्षा का अधिकार दिया, इसी कारण आज देश प्रगति कर रहा है. डॉ. अम्बेडकर के तीन गुरु भगवान गौतम बुद्ध, संत कबीर और महात्मा ज्योतिबा फुले थे. बाबासाहेब की यह शिक्षा कि हर किसी को अपना मूल्य स्वयं तय करना चाहिए और जीवन जीना चाहिए.
जनसंपर्क विभाग,
एमआईटी डब्ल्यूपीयू, पुणे