पुणे में वक्फ अर्मेन्डमेंट बिल-2024 और वक्फ विधेयक 2024 पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय परिषद

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पुणे: ऑल इंडिया औकाफ ट्रस्टीज, महाराष्ट्र राज्य द्वारा वक्फ (अर्मेन्डमेंट) बिल-2024 और वक्फ (दुरुस्ती) विधेयक 2024 पर विचार-विमर्श के लिए एक राष्ट्रीय परिषद आयोजित की गई है। यह परिषद रविवार, 8 सितंबर 2024 को शाम 6 से 10 बजे तक पुणे के असेम्ब्ली हॉल, आझम कैम्पस, कैम्प में होगी।

इस परिषद में प्रमुख वक्ताओं की सूची में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों का समावेश है, जिनमें – हजरत मौलाना फजलूर-रहिम मुजद्दिदी, जनरल सेक्रेटरी, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड – बी. जी. कोळसे पाटील, न्यायाधीश, बॉम्बे उच्च न्यायालय- एड. मेहमूद प्राचा, वकील, सर्वोच्च न्यायालय- जनाब मो. खालिद खान, जॉईंट सेक्रेटरी, राज्यसभा संसद दिल्ली

  • एड. सादिया रोहमा खान, वकील, दिल्ली – एङ सय्यद अन्वरअली, वकील, सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली – मुनिसा बुशरा आबेदी, कार्यकारी सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड – डॉ. लुबना सरवत, सामाजिक कार्यकर्ता, हैदराबाद
    शामिल हैं।
    इस परिषद में वक्फ (अर्मेन्डमेंट) बिल-2024 और वक्फ (दुरुस्ती) विधेयक 2024 पर विस्तार से चर्चा की जाएगी, साथ ही संसदीय समितियों के सामने एकसमान दृष्टिकोण प्रस्तुत करने पर विचार होगा।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान के अनुसार हर नागरिक को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार है। वक्फ, जो कि इस्लामिक परंपरा के तहत दान की गई संपत्ति का प्रबंधन करता है, भारतीय वक्फ कानून के तहत काम करता है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने वक्फ (अर्मेन्डमेंट) विधेयक 2024 प्रस्तुत किया है, जिससे वक्फ बोर्ड के अधिकारों को जिलाधिकारियों को सौंपने की कोशिश की जा रही है। इस विधेयक का विरोध बढ़ रहा है और इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है।

आयोजकों का कहना है कि इससे पहले, शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति पर भी सरकारी हस्तक्षेप की कोशिश की गई थी, जिससे सामाजिक-राजनीतिक मुद्दे उत्पन्न हुए। वक्फ के मामले में भी इसी तरह की राजनीति की जा रही है, जिससे धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

वक्फ का उद्देश्य समाज के कल्याण के लिए इस्लामिक सिद्धांतों का पालन करना है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह परिषद वक्फ के भविष्य पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी।

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