पुणे। राज्य के महानगरपालिका और नगरपालिका क्षेत्रों के अंतर्गत स्कूलों में विद्यार्थियों को केंद्रीय रसोई (सेंट्रल किचन) प्रणाली के माध्यम से प्रदान किए जा रहे आहार की गुणवत्ता और निविदा प्रक्रिया को लेकर कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब केंद्रीय रसोई प्रणाली में खाना पकाने के कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके बजाय, खाना पकाने के लिए स्थानीय महिला बचत समूहों या संस्थाओं का चयन करने का अधिकार स्कूल प्रबंधन समिति को दिया गया है।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत, राज्य की पात्र स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पोषण आहार दिया जाता है। शहरी क्षेत्रों में अनाज के भंडारण और रसोई के लिए स्थान की कमी के कारण केंद्रीय रसोई प्रणाली के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाता है। 2019 से केंद्रीय रसोई प्रणाली को अपनाया गया था, जिसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रति वर्ष दो सौ करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। पहले केंद्रीय रसोई के चयन के लिए महानगरपालिका, नगरपालिका, नगरपरिषद और कटका मंडल स्तर पर निविदा प्रक्रिया के माध्यम से महिला बचत समूहों, स्वयंसेवी संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों का चयन किया जाता था। लेकिन इस प्रक्रिया में अनियमितता, आहार की गुणवत्ता में कमी, और विद्यार्थियों को सरकारी नियमों के अनुसार पूरक आहार न मिलने जैसी शिकायतें सामने आईं।
इन शिकायतों के मद्देनज़र, शिक्षा विभाग ने पोषण आहार योजना की प्रभावी कार्यान्वयन, निगरानी और विकेंद्रीकरण के दृष्टिकोण से सुधार करने का निर्णय लिया है।