पुणे। महाराष्ट्र में महायुती सरकार के गठन के बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार और पालकमंत्री पद की घोषणा में देरी होने के कारण पुणे जिले का जल प्रबंधन भी अधर में लटक गया है। इस बार मानसून के दौरान संतोषजनक वर्षा हुई है, जिससे जल उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन जल वितरण योजना की कालवा समिति की बैठक टलने से वितरण प्रक्रिया प्रभावित होने की संभावना है।
खडकवासला डैम चेन प्रोजेक्ट से सिंचाई के लिए कितना पानी दिया जाएगा और पुणे शहर के लिए पीने के पानी के रूप में कितना पानी आरक्षित किया जाएगा, इसका निर्णय कालवा समिति की बैठक में लिया जाता है। इस समिति की अध्यक्षता पालकमंत्री करते हैं। लेकिन पालकमंत्री की नियुक्ति न होने के कारण जल वितरण योजना लंबित पड़ी हुई है।
राज्य सरकार ने जल उपयोग के लिए प्राथमिकताएं तय की हैं। इनमें सबसे पहले पीने के पानी को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद सिंचाई और उद्योगों को। खडकवासला डैम चेन प्रोजेक्ट का पानी पुणे शहर के लिए पीने के पानी के रूप में और दौंड, इंदापुर और बारामती तालुकों के लिए सिंचाई और पीने के पानी के रूप में उपयोग होता है। जल योजना में शहर के पीने के पानी की आवश्यकता, सिंचाई के लिए जल प्रवाह, वाष्पीकरण और कुछ ग्रामीण पंचायतों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाती है।
हर साल अक्टूबर में कालवा समिति की बैठक होती है, जिसमें जल वितरण से संबंधित निर्णय लिए जाते हैं। बैठक के लिए 15 अक्टूबर तक डैम में उपलब्ध जल स्तर का आकलन किया जाता है। इस बार विधानसभा चुनावों के कारण यह बैठक टाल दी गई। चुनाव परिणाम के बाद महायुती सरकार सत्ता में आई, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार और पालकमंत्री की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है। इस कारण जल प्रबंधन योजना पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।