पुणे: संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज और संतश्रेष्ठ तुकाराम महाराज की पालकी समारोह पंढरी (पंढरपूर) की ओर बढ़ रही है। ज्ञानोबा-तुकाराम, माऊली-माऊली के मंत्रोच्चार और विठु नाम के जागर से पुण्यनगरी अभिभूत हो उठी। पंढरी की वारी और महाराष्ट्र के लोगों का एक अटूट रिश्ता है। हर कोई अपने-अपने तरीके से इन विट्ठल भक्तों की सेवा करता है। इसके एक भाग स्वरूप सूर्यदत्त नेशनल स्कूल के छात्रों द्वारा बावधन क्षेत्र में वारकरी मूर्तियों की सफाई की।
सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया एवं उपाध्यक्ष सुषमा चोरडिया के मार्गदर्शन में इस वारकरी शिल्प स्वच्छता अभियान का आयोजन किया गया। सूर्यदत्त नेशनल स्कूल की निदेशक शीला ओक के नेतृत्व में छात्रों और शिक्षकों ने भी इस गतिविधि में भाग लिया। सड़क से कूड़ा उठाकर सफाई की गई। वृक्षारोपण कर लौट रहे वरिष्ठ नागरिकों ने छात्रों के इस कार्य की सराहना की।
प्रो डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “पंढरपूर के विठू माऊली को मिलने जा रहे वारकरियों का एक बड़ा परिवार है। वारकरी परंपरा आत्म-अनुशासन, नैतिक जीवन और आध्यात्मिक सत्य की खोज को दर्शाता है।
सामान्य आध्यात्मिक अवधारणा से परे अद्भुत दृष्टि दिखती यह वारी है.महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति का संरक्षण और 700 साल पुराने वारकरी संप्रदाय के सामाजिक संदेश को छात्रों तक पहुँचाने के उद्देश्य इसके पीछे था. छात्रों ने स्वच्छता, नैतिक व्यवहार और कर्तव्यनिष्ठ जीवन की घोषणा करते हुए वारी का अनुभव किया। “
सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट स्नेहल नवलखा ने छात्रों और शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा की वारकरियों द्वारा हमें दिए गए सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व, सहिष्णुता और शांति के मूल्यों को अपनाना चाहिए। भविष्य में भी
विद्यार्थियों के निर्माण में योगदान देने वाली सामाजिक गतिविधियाँ ‘सूर्यदत्त’ की ओर से आयोजित की जाएगी, यह विश्वास भी उन्होंने जताया.